न भारत जैसा देश
पर कहीं न देखा मैने भारत जैसा देश
संस्कार का गुणी-धनी सुन्दर है परिवेश
खनिज संपदरा का धनी-बनी यह
जाति-धर्म-संप्रदाय हैं मिलते जहाँ अनेक
शीश हिमालय सिरमौर है जिसका
हरदम पाँव पखारे है सागर
पूरब में रवि नित आकर जिसे जगाता
दक्षिण में लहराता है जिसके सागर
प्रकृति निखारे नित-नित ऐसा भारत देश
पेरिस, घूमे लंदन धूमें, घूमें कइयों देश
पर कहीं न देखा मैने भारत जैसा देश
कोयल बैठी आम की डाली दादुर शोर मचाते हैं
बाग-बगीचों में नित मोर आकर नृत्य दिखाते हैं
धरती पर हरियाली फैली खेतों में सरसों है फूली
नित भोर भए ही चिड़िया आकर राग सुनाती है
गंगा-यमुना धार मिले, ऐसा पावन है यह देश
कहीं न दिखता जग में, सुंदर ऐसा परिवेश
पेरिस, घूमे लंदन धूमें, घूमें कइयों देश
पर कहीं न देखा मैने भारत जैसा देश
प्रो. डॉ. के के शर्मा 'सुमित'
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