प्रिये
आओ बैठो पास हमारे,
नूतन बनी खुमार प्रिये |
कुछ तुम बोलो, कुछ बिन बोले,
समझूँ सारी बात प्रिये ||
आओ बैठो पास हमारे ,
नूतन बनी खुमार प्रिये |
जीवन का अनमोल रतन तुम,
अर्पित तुमको जीवन-प्राण प्रिये
||
तुम जीवन के पारस पत्थर
मैं लोहे की खान प्रिये |
जीवन सूखी डाली का सा,
तुम्ही बसंती बहार प्रिये
||
आओ बैठो पास हमारे ,
नूतन बनी खुमार प्रिये |
श्री कृष्ण कुमार शर्मा "सुमित"
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