शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

माँ का दिल

 

माँ का दिल

माँ का दिल जहान में निराला है यारों,

खुद पे सारे जुल्मों सितम झेल जाती |

दिल के टुकड़े पर आफत, बन रणचंडी,

उल्फत को अपनी जां पर खेल जाती ||

 सारे जहाँ में उसका लाल है अनोखा,

कितना प्यारा, गिन-गिन के बताती |

लाख गलती हो नजरे आलम में लाल की,  

सीधा-सादा बेगुनाह ही ओ बताती ||

दिन रात मिन्नतें करती ईश से,

उपवास में ही दिन वो बिताती |

माँ की नजर बेटे उदर पर ही रहती,

मातृ-प्रेम तगड़े बेटे को भी दुबला बताती ||


                                                                                                      श्री कृष्ण कुमार शर्मा "सुमित"


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