बड़ी मासूम सी जज्बाती होती हैं बेटियाँ
इनको आंसू भी मिल जाए तो छुपाती हैं बेटियाँ
बड़ी मासूम सी जज्बाती होती हैं बेटियाँ
इनसे कायम है घर का नूर हमारे
हर सुबह नियांमत से घर महकाती आती हैं बेटियाँ
लोग बेटों से ही रखते हैं तवक्को
लेकिन बुरे वक्त में काम आती हैं बेटियाँ
बड़ी मासूम सी जज्बाती होती हैं बेटियाँ
बेटियाँ पुर नूर चिरागों की तरह
रोशनी करतती जिस घर में जाती हैं बेटियाँ
ससुराल का हर गम छुपा लेती
सामने मां के आते ही मुस्कुराती हैं बेटियाँ
बड़ी मासूम सी जज्बाती होती हैं बेटियाँ
एक बेटी हो तो खिल जाता है घर का आँगन
घर तो वही रहता रोशनी बढ़ाती हैं बेटियाँ
बड़ी मासूम सी जज्बाती होती हैं बेटियाँ
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