मंगलवार, 25 अगस्त 2020

बेटियाँ

 

बड़ी मासूम सी जज्बाती होती हैं  बेटियाँ 

इनको आंसू भी मिल जाए तो छुपाती हैं  बेटियाँ 

बड़ी मासूम सी जज्बाती होती हैं  बेटियाँ 

इनसे कायम है घर का नूर हमारे 

हर सुबह नियांमत से घर महकाती आती हैं  बेटियाँ 

लोग बेटों से ही रखते हैं तवक्को 

लेकिन बुरे वक्त में काम आती हैं बेटियाँ 

बड़ी मासूम सी जज्बाती होती हैं  बेटियाँ 

बेटियाँ  पुर नूर चिरागों की तरह 

रोशनी करतती जिस घर में जाती हैं बेटियाँ 

ससुराल का हर गम छुपा लेती 

सामने मां के आते ही मुस्कुराती हैं बेटियाँ 

बड़ी मासूम सी जज्बाती होती हैं  बेटियाँ 

एक बेटी हो तो खिल जाता है घर का आँगन 

 घर तो वही रहता रोशनी बढ़ाती हैं बेटियाँ 

बड़ी मासूम सी जज्बाती होती हैं  बेटियाँ 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

पुरानी पेंशन : बुढ़ापे की लाठी

                                                          पुरानी पेंशन : बुढ़ापे की लाठी पुरानी पेंशन योजना (OPS) को भारत में लंबे समय तक सेव...